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काशी का यह झुका हुआ मंदिर है पीसा की मीनार से भी ज़्यादा अनोखा, यहाँ पढ़े पूरी जानकारी

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में कुछ मंदिर बेहद अद्भुत और तमाम रहस्यों को छिपाए हुए हैैं। ऐसा ही करीब 500 साल पुराना रत्नेश्वर महादेव मंदिर सिंधिया घाट पर है। यह मंदिर अपने अक्ष पर पीसा की मीनार से पांच डिग्री ज्यादा झुका हुआ है और बिना घंटा-घडिय़ाल के भी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व कलात्मक रूप से बेहद ऊंचा स्थान रखता है। रत्नेश्वर मंदिर अपने नींव से 9 डिग्री झुका है और इसकी ऊंचाई 13.14 मीटर है।

इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अलौकिक है। सैकड़ों सालों से यह मंदिर एक ओर झुका हुआ है। इस मंदिर को लेकर कई तरह कि दंत कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन आज भी यह रहस्य का विषय है कि पत्थरों से बना यह वजनी मंदिर टेढ़ा होकर भी सैकड़ों सालों से कैसे खड़ा है।

आपको बता दे कि वाराणसी में गंगा घाट पर जहां सारे मंदिर ऊपर की तरफ बने हुए हैं, तो वहीं रत्नेश्वर मंदिर मणिकर्णिका घाट के नीचे की और बना हुआ है।घाट के नीचे होने के वजह से यह मंदिर वर्ष के 6 माह से भी ज्यादा वक्त तक गंगा नदीं के पानी में डूबा रहता है।

बाढ़ के वक्त में नदी का पानी इस मंदिर के शिखर तक पहुंच जाता है। यहां के पुजारियों के अनुसार, इस मंदिर में सिर्फ 2-3 माह ही पूजा-पाठ होती है। वही महारानी की दासी रत्ना बाई ने इस घाट के सामने शिव मंदिर मनवाने की इच्छा की थी।

जिसके बाद दासी के नाम पर ही इस अद्भुत मंदिर का नाम रत्नेश्वर पड़ा था।बता दें की स्थानीय लोगों के अनुसार वाराणसी में कई मंदिरों और कुंडों का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया हुआ है। 

महारानी के शासन काल में उनकी दासी रत्ना बाई ने मणिकर्णिका घाट के सामने शिव मंदिर बनवाने की इच्छा जाहिर की और इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। वहीं उस दासी के नाम पर ही इस अद्भुत मंदिर का नाम रत्नेश्वर पड़ा। 400 साल पुराने रत्नेश्वर महादेव मंदिर से कई दंत कथाएं जुड़ी हैं।

वास्तुकला का अद्भुत और अलौकिक उदाहरण इस मंदिर में देखने को मिलता है। पुराणों में वर्णित जिन दंत कथाओं का जिक्र है, उसमें सबसे ज्यादा प्रचलित महारानी अहिल्याबाई होल्कर और उनकी दासी रत्नाबाई की कहानी है।

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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