पाकिस्तान निकलती है हरियाणा की ये सुरंग, जहां दफ्न है अरबों का खजाना

हरियाणा में विभिन्न ऐतिहासिक स्थल है, जिनके इतिहास के बारे में हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं. हरियाणा के इन्हीं ऐतिहासिक स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल रोहतक में स्थित मुगल काल में बनी बावड़ी है. जिसके बारे में लोगों में अलग- अलग प्रचलित है. आज हम आपको इसकी विस्तार से जानकारी देंगे, जोकि काफी दिलचस्प है. रोहतक स्थित इस बावड़ी को महम की बावड़ी और ज्ञानी चोर की बावड़ी भी कहा जाता है.

मुगल बादशाह के Time करवाया गया बावड़ी का निर्माण

इस बावड़ी का निर्माण 1658-59 ईसवी में मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार सैद्यू कलाल ने करवाया था. बावड़ी में एक कुआं है जिसमें भीतर जाने के लिए 101 सीढियां उतरनी पड़ती है. इस बावड़ी में किसी वक्त में कमरे भी थे. फिलहाल अभी यह बावड़ी जर्जर है, लेकिन इसकी रहस्यमय बातों को सुनकर पर्यटक इसे देखने के लिए जाते हैं. यहां के कुएं का पानी अब काला हो चुका है.

1995 में आई बाढ़ से बावड़ी हो गई क्षतिग्रस्त



लोगों का मानना है कि अंग्रेजों के समय इस बावड़ी के अंदर से एक बारात गुजर रही थी जोकि बीच रास्ते में ही गायब हो गई, और कभी वापस नहीं लौटकर नहीं आई. इस घटना के बाद अंग्रेजों ने इस बावडी मे बनी सुरंग को बंद करवा दिया. 1995 में आई एक बाढ़ की वजह से इस बावड़ी का काफी हिस्सा नष्ट हो गया. लेकिन बचा हुआ कुछ हिस्सा अभी भी रोहतक के महम में स्थित है. जिसे महम बावड़ी के नाम से जाना जाता है.

बावड़ी में छलांग लगाकर गायब हो जाता था चोर


इस बावड़ी के संबंध में ज्ञानी चोर की कहानी खूब प्रचलित है. जिसे शातिर चोर कहा जाता है. बताया जाता है कि ज्ञानी चोर अमीरों को लूटता था और बावड़ी में छलांग लगाकर गायब हो जाता था. ऐसा कहा जाता है कि उसके द्वारा चुराया गया धन इस बावड़ी में मौजूद है. हालांकि इस बावड़ी में कभी किसी को कोई खजाना नहीं मिली. इस जगह पर सूरज ढलने के बाद कोई नहीं जाता है. हालांकि, ज्ञानी चोर की कहानी को लेकर इतिहास में कोई जानकारी नहीं मिलती है. ऐसा कहा जाता है कि यह बावड़ी जितनी जमीन से ऊपर दिखती थी, उससे ज्यादा जमीन के भीतर बनी हुई है।

डरावने खंडहर के रूप में तब्दील हो गई यह बावड़ी



इस बावड़ी के अंदर कुल 101 सीढियाँ हैं, जिन से नीचे उतरने पर एक कुआं बना हुआ है. इस ऐतिहासिक स्थल की स्थिति आज ऐसी हो चुकी है कि यह एक डरावना खंडहर नजर आता है. इस स्थान पर आज भी घूमने के लिए एडवेंचर और इतिहास प्रेमी आते हैं, और यहां पर हुई घटनाओं को जानने का प्रयास करते हैं. आज इस बावड़ी में काफी अधिक संख्या में चमगादड़ का पहरा रहता है. जिस वजह से यह जगह काफी डरावनी लगती है.

Avinash Kumar Singh

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