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आखिर क्यों हरियाणा में घर के मुखिया से पहले हुके को माना जाता है चौधरी ?

हरियाणा। प्राचीन काल से ही ‘हुक्का’ हरियाणवी संस्कृति में अपना गौरवमयी तथा गरिमापूर्ण इतिहास संजाये है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘हुक्के’ ग्रामीण जीवन से गहरा संबंध रखता है। यह कह पाना कठिन है कि ‘हुक्के’ का जन्म कब और कहां, किन परिस्थितियों में हुआ, मगर फिर भी आस्था के रूप में ‘हुक्के ‘ का निर्माण बड़े ही वैज्ञानिक और रहस्यपूर्ण नियमों को ध्यान में रखकर हुआ है


घर के मुखिया से पहले हुक्के को घर का चौधरी माना जाता है। हरियाणा में तो सियासत का भी हुक्के से नाता रहा है।
चौपालों-चबूतरों पर हुक्के की गुडगुड़ाहट के बीच
सियासी विश्लेषण अपने-आप में अनूठा है। हरियाणा के
गांवों में और कुछ हो न हो सुबह और शाम के वक्त हुक्के
की बैठकें जरूर होती हैं ।

हुक्के की कहानी

‘शान ‘ के प्रतीक हुक्के की कहानी बहुत पुरानी है। मुगल
काल से हुक्के का चलन हरित प्रदेश में है। बागड़ बैल्ट में
इसका चलन अधिक है और इसे तो सामुदायिकता का
विकास करने वाले साधन के तौर पर भी देखा गया है।
यह बात जरूर है कि समय के साथ यह चलन कम हुआ
है।

हरियाणा में चौपाल एवं हुक्का भी दोनों एक दूसरे के
पर्याय हैं। चौपाल की कल्पना बिना हुक्के करना यहां
बेमानी माना जाता है। दरअसल हुक्का भी धूमपान का ही
एक साधन है, पर बुजुर्ग इसे सिगरेट-बीड़ी से अधिक
हानिकारक नहीं मानते। इसमें एक तर्क भी छिपा है।
पानी, गुड़ एवं तंबाकू का मेल इसे फिल्टर्ड बनाता है। नेंचा
जिसमें पानी डाला जाता है और चिलम में तंबाकू रखा
जाता है।

हुक्के की नलकी के जरिए धुआं फिल्टर्ड होकर निकलता
है। वैसे चिकित्सकों के अनुसार तंबाकू में निकोटिन होता
है, इसलिए यह हानिकारक तो है ही। हां यह जरूर है कि
सिगरेट एवं बीड़ी की अपेक्षा यह अधिक हानिकारक नहीं
है। गांव के लोग व हुक्का बनाने वाले लोग मानते हैं कि
नई पीढी के सिगरेट, बीडी जैसे नशों की गिरफ्त में आने
से हुक्के का चलन कम हुआ है।

वैसे हरियाणा में हुक्का आरंभ से परंपरा निर्वहन का एक अनूठा साधन एवं सामुदायिका का प्रतीक रहा है। इसीलिए तो गांव में जब कोई किसी प्रकार की गलती करता है तो उसे ‘हुक्का-पानी बंदÓ की सजा दी जाती है। इसका अभिप्राय संबंधित व्यक्ति का गांव से सामाजिक नाते का समाप्त होना है। खास बात है कि गांव में हुक्का ‘चौधराहटÓ का भी प्रतीक माना जाता है।

गांव में अपने घर के आगे बने वृक्ष के नीचे मंडली में लोगों के साथ खेलते हुए हुक्का गुडग़ुड़ाना शान समझा जाता है। इस जीवट ध्रूमपान के साधन की देखरेख बड़े बुजुर्ग बहुत सावधानी से करते हैं। बुजुर्ग लोग हुक्के की नली एवं नेंचे को इस प्रकार से साफ करते हैं, जैसे कोई सैनिक अपनी बंदूक की साफ-सफाई करता हो। हरित प्रदेश में हुक्के का चलन बहुत पुराना है।

मुगल काल से हुक्के की परंपरा चली आ रही है। सामाजिक सोपान के इस अनूठे साधन को हरियाणा की शान के रूप में जाना जाता है। मुगल काल के समय तो विशेष प्रकार के हुक्के बड़ी रियासतों के लोग गुडग़ुड़ाया करते थे। एक विशेष प्रकार की चिलम के साथ काफी लंबी पाइप से हुक्का गुडग़ुड़ाने का रिवाज था। बाद में साधारण आकार का हुक्का जिसे लोग-बाग आराम से हाथ में लेकर चल सकें का चलन शुरू हुआ। बागड़ इलाके में इसे ‘कलीÓ के नाम से जाना जाता है।

हरियाणा में हुक्के को लेकर बहुत सी कहावतें भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि फलते-फुलते घरों में हुक्के की चिलम जलती रहती है। बहुत से गांवों में तो 70 वर्ष से अधिक आयु की बुजुर्ग महिलाएं भी हुक्का पीती हैं। ऐसी महिलाओं का हुक्का पीना कोई बुरी बात भी नहीं माना जाता। घर में अगर बुजुर्ग बिल्कुल स्वस्थ है तो वह स्वयं ही बढिया तबाकू तैयार कर अपनी चिलम स्वयं तैयार करता है।

ऐसा नहीं है घर के बच्चे या फिर बहुएं इस काम को करती हैं। यह परंपरा की गहराई है कि विवाह आदि समारोह में चाहे भोजन न परोसा जाए, हुक्के का प्रबंध जरूर होना चाहिए। यह भी एक खास बात है कि बहुत से लोग तो अपने घरों में अन्य वस्तुओं की तरह हुक्के को भी सजावट के सामान के तौर पर रखते हैं। हुक्के का चलन केवल हरियाणा में ही नहीं है। भारत में कश्मीर, राजस्थान में भी हुक्के की अपनी एक परम्परा रही है।

भारत के अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, फिलीपिंस, बंगलादेश, बलोचिस्तानी, सिरिया, तुर्की, केन्या, दक्षिण अफ्रीका में भी हुक्का पीया जाता है। हरियाणा की तरह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हुक्के को चिलम कहा जाता है। ङ्क्षसधी में हुक्कों, कश्मीर में इसे जजीर जबकि मालदीप में गुडग़ुड़ा बोला जाता है। हरियाणा में ताश की बाजी के साथ हुक्का गुडग़ुड़ाते हुए सियासत की ऐसी महफिल जमती है कि उसके आगे तमाम टीवी डिबेट करने वाले भी हैरान रह जाएं। है ना हुक्के की कहानी दिलचस्प।

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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