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भारत में छाया गधों का संकट, हरियाणा में भी बचे केवल कुछ गधे

ज्यादा उपयोग नहीं होने पर देश में गधों की प्रजाति पर संकट मंडराता दिख रहा है. पूरे देश में गधों की संख्या एक लाख 20 हजार से भी कम हो चुकी है. राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 10 ही राज्य ऐसे हैं, जहां इनकी जनसंख्या एक हजार से ज्यादा हैं. हरियाणा में तो इनकी कुल संख्या सिर्फ 800 ही है. इसमें से भी अंबाला में केवल तीन गधे ही बचे हैं, जबकि सबसे ज्यादा गधे गुरुग्राम  में हैं जिनकी संख्या 88 हैं. गधों की घटती आबादी राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है. 

मशीनों के बढ़ते उपयोग से गधों की उपयोगिता हुई कम



उनका कहना है कि Natural Balance की नज़र से भी गधों के संरक्षण पर भी ध्यान देना आवश्यक है. इंसान अपनी जरूरत के हिसाब से जानवरों को पालता है. लंबे समय तक बोझ ढोने के लिए गधे को पाला जाता था, लेकिन जैसे-जैसे Machines का उपयोग बढ़ता गया, गधों की उपयोगिता खत्म होती गई. Use नहीं होने के चलते पालनहार गधों को नहीं पाल रहे. इसका Effect इनकी आबादी पर होने लगा. पिछले 15 साल में ही गधों की आबादी साढ़े चार लाख से घटकर एक लाख के लगभग आ पहुंची हैं.

अगली पशुगणना में संख्या होगी एक लाख से भी कम



साल 2019 में हुई पशुगणना के मुताबिक देश में गधों की कुल आबादी एक लाख 20 हजार थी, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या तीन लाख 20 हजार और वर्ष 2007 में चार लाख 20 हजार थी. अगली पशुगणना 2024 में की जाएगी. पशुपालन Department के अनुसार तीन साल पहले हुई पशुगणना में राजस्थान में 23 हजार, महाराष्ट्र में 25 हजार, यूपी में 16 हजार, गुजरात व बिहार में 11 हजार, जम्मू कश्मीर में 10 हजार, कर्नाटक में 9 हजार, मध्य प्रदेश में आठ हजार व हिमाचल और आंध्र प्रदेश में 5-5 हजार गधे बचे थे. हर साल इनकी आबादी घटती जा रही है और आशंका है कि आगे होने वाली पशुगणना में इनकी संख्या एक लाख से भी कम रहने वाली हैं.

हरियाणा में केवल 800 गधे बचे



हरियाणा में केवल 800 गधे ही बचे हैं. यही स्थिति पंजाब और उत्तराखंड की भी है. उत्तराखंड में भी गधों की कुल जनसंख्या एक हजार से कम ही है.पशुधन के मामले में हरियाणा को संपन्न माना जाता है. हरियाणा के अंबाला में 3, सोनीपत में 4, कैथल में 6, पानीपत में 6, कुरुक्षेत्र में 10, फतेहाबाद में 12, जींद में 14 और यमुनानगर में 15 गधे ही शेष हैं. इसके अतिरिक्त महेंद्रगढ़ में 19, फरीदाबाद में 21, करनाल में 21, पंचकूला में 22, रेवाड़ी में 22, चरखी दादरी में 33, झज्जर में 37, मेवात में 70, हिसार में 70, पलवल में 79, रोहतक में 79, सिरसा में 79, भिवानी में 80 और गुरुग्राम में 88 गधे हैं

घटती आबादी है चिंता का विषय



राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार (National Horse Research Institute Hisar) के निदेशक डॉ. यशपाल शर्मा का कहना है कि गधों की कम होती संख्या चिंता का विषय है. जिस तरह से इनकी आबादी कम हो रही है, आने वाले कुछ ही सालों में शायद इनके विषय में Books में ही पढ़ने को मिलेगा. Research कार्यों के लिए भी इस प्रजाति को संरक्षित करने की आवश्यकता है.

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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