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अंग्रेजों द्वारा भारत में बनाए गए ऐसे ब्रिज जो आज भी खूबसूरती की मिसाल है

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गुजरात में एक दयनीय हादसे ने सबको झंझोर के रख दिया है। मोरबी पुल टूटने के बाद इस घटना का जिक्र हर किसी के जुबान पर है। लेकिन एक मोरबी पुल के जिक्र के साथ साथ एक जिक्र और निकला है जोकि है अंग्रेजो द्वारा भारत में बनाए गए ऐसे पुलों का जोकि न केवल आज भी खड़ी है बल्कि भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण भी है।

अंग्रेजो ने हम भारतीयों के साथ काफी जयति की पर उनकी कुछ ऐसी देन है जो आज भारत की शान और मान दोनो बढ़ा रही है। आज हम आपको इस लेख में ऐसे पुल और ब्रिज के बारे में बताएंगे जोकि अंग्रेजो द्वारा गजब की तकनीकी से बनवाया गया…

पमबन का पुल, तमिलनाडु

भारत का पहला समुद्री पुल यानी कि ‘पमबन पुल’ 1914 में यातायात के लिए खोला गया था। फरबरी 2016 में इस पुल के निर्माण ने 102 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह 6776 फीट लम्बा पुल धार्मिक स्थल रामेश्वरम को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है। 22 दिसंबर 1964 को आए एक भयंकर तूफ़ान में यह पुल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

लेकिन भारतीय रेलवे के कर्मचारियों की मेहनत की वजह से इसे 2 महीने के अन्दर ही ठीक भी कर लिया गया था। यह पुल इस बात का बढ़िया प्रमाण है कि अंग्रजों के ज़माने की निर्माण तकनीकी कितनी बेमिशाल थी। बड़े जहाजों को रास्ता देने के लिए यह पुल 2 भागों में खुल भी जाता है।

हावड़ा ब्रिज, कोलकाता

रवीन्द्र सेतु, भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के उपर बना एक “कैन्टीलीवर सेतु” है। यह हावड़ा को कोलकाता से जोड़ता है। इसका मूल नाम “नया हाव दा पुल” था जिसे 14 जून सन् 1965 को बदलकर ‘रवीन्द्र सेतु’ कर दिया गया। किन्तु अब ‘यह “हावड़ा ब्रिज” के नाम से अधिक लोकप्रिय है।

इस पुल का निर्माण 1937—1943 के बीच हुआ था। इसे बनाने में 26500 टन स्टील की खपत हई थी। अंग्रेजों ने इस पुल को बनाने में भारत में बनी स्टील का इस्तेमाल किया था। इस पुल को तैरते हुए पुल का आकार इसलिए दिया गया था क्योंकि इस रास्ते से बहुत सारे जहाज निकलते है। यदि खम्भों वाला पुल बनाते तो अन्य जहाजों का परिवहन रुक जाता।

पुराना गोदावरी ब्रिज, आंध्र प्रदेश

पुराना गोदावरी ब्रिज का निर्माण 11 नवंबर 1897 में शुरू हुआ और इसका नाम उस समय के मद्रास के गवर्नर सर आर्थर हैवलॉक के नाम पर रखा था। इसलिए पुराने गोदावरी ब्रिज को हैवलॉक ब्रिज के नाम से भी जाना जाता था। बाद में इसे गोदावरी पुल नाम दिया गया।

लगभग सौ सालों तक मद्रास और हावड़ा को इस रेलवे ब्रिज ने जोड़े रखा। पुराने पुल का लाइफ स्पैन खत्म होने के बाद इसी के पास गोदावरी आर्क ब्रिज बनाया गया, वर्तमान में जिसका प्रयोग किया जा रहा है। इसे New Godavari Bridge भी कहा जाता है।

कोरोनेशन ब्रिज, पश्चिम बंगाल

1937 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में कोरोनेशन ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ था। दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी शहर को तिस्ता नदी के ऊपर बना ये ब्रिज राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से जोड़ता है। इसका नाम कोरोनेशन ब्रिज क्यों रखा गया इसको लेकर इतिहासकार बताते हैं कि किंग जॉर्ज VI के राज तिलक के दौरान उनके सम्मान में इस ब्रिज को बनाया गया था। उस समय के ब्रिटिश अफसर जॉन चैंबर्स ने इस पुल का नक्शा बनाया था।

ब्रिज नंबर-541, हिमाचल

अंग्रेजो ने कई खूबसूरत पुल का निर्माण करवाया लेकिन कनोह रेलवे स्टेशन के पास बना ब्रिज नंबर-541 देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फेमस है। इसकी खूबसूरती देखते आंखें और मन नहीं भरता और गजब बात तो ये है कि 124 साल बाद भी इसकी खूबसूरती से नजर नही हटती।

चार मंजिला आर्क गैलरी के जैसा बना ये ब्रिज उस दौर में ईंट और गारा से बनाया गया था। आज भी इस पर ट्रेन का संचालन है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। विश्व की सबसे ऊंची आर्क ब्रिज को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज में भी शामिल किया जा चुका है।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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