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हरियाणा के प्रदीप ने नौकरी छोड़ कुल्हड़ के दूध से खड़ा किया लाखों का कारोबार

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हरियाणा के रहने वाले प्रदीप श्योराण मिल्क पार्लर का बिजनेस चलाते हैं। वे मिल्क की प्रोसेसिंग करके घी, पेड़ा, मिठाइयां सहित एक दर्जन से ज्यादा प्रोडक्ट बनाते हैं और ऑनलाइन माध्यम से देशभर में इसकी मार्केटिंग करते हैं। इतना ही नहीं हरियाणा और दिल्ली में वे जगह-जगह स्टॉल लगाकर कुल्हड़ में गर्म दूध, लसी और दही भी बेचते हैं। इससे हर महीने 4 लाख रुपए का वे बिजनेस कर रहे हैं।

प्रदीप एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे कहते हैं कि मैं सिविल सर्विसेज में जाना चाहता था। ग्रेजुएशन के बाद कुछ साल कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद मुझे पता चला कि MBA करने के बाद अच्छी नौकरी मिल जाती है। मैंने लगे हाथ MBA भी कर लिया। हालांकि, जैसी उम्मीद थी उसके मुताबिक नौकरी नहीं मिली।



नौकरी थी, लेकिन सुकून नहीं


साल 2012 से 2018 तक प्रदीप ने अलग-अलग कई कंपनियों में काम किया। इस दौरान वक्त के साथ उनकी सैलरी तो बढ़ गई, लेकिन सुकून और संतुष्टि नहीं मिली। उन्हें अक्सर लगता था कि खुद का कुछ करना चाहिए। इसको लेकर उन्होंने अपने भाई से बात की जो गांव में खेती करते थे। दोनों का मन बना और प्रदीप नौकरी छोड़कर गांव लौट आए।

गांव आने के बाद प्रदीप ने तय किया कि पहले वे देश के अलग-अलग राज्यों में जाएंगे और उनकी डिमांड समझेंगे। फिर खुद का बिजनेस करेंगे। इसके बाद वे कई राज्यों में गए। वहां के किसानों और लोगों से मिले। उनकी जरूरतें जानी।



कुल्हड़ में गर्म दूध बेचना शुरू किया


प्रदीप कहते हैं कि अलग-अलग राज्यों में घूमने के बाद मुझे दूध का बिजनेस सबसे अच्छा लगा, लेकिन इसमें एक बड़ी दिक्कत थी ट्रांसपोर्टेशन की। इस वजह से दूध बेचने वालों का ज्यादातर दूध खराब हो जाता है। मैंने इसको लेकर एक नई तरकीब निकाली। मैंने तय किया कि हम ठंडा दूध बेचने की जगह गर्म दूध बेचेंगे और वो भी मिट्टी के बर्तन में, ताकि लोगों को भी कुछ खास एहसास हो।

इसके बाद प्रदीप ने हरियाणा और दिल्ली में कुछ जगहों पर स्टॉल लगाकर गर्म दूध बेचना शुरू किया। उनका यह आइडिया सफल रहा। लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला और उनकी आमदनी बढ़ती गई। फिर उन्होंने अपने स्टॉल की संख्या बढ़ा दी।

वे कहते हैं कि मैं रोज सुबह और शाम में अपना स्टॉल अलग-अलग जगहों पर लगाता था। कभी पार्क के सामने तो कभी सड़क पर। बाद में मैं एग्जीबिशन और मेलों में भी जाने लगा। वहां भी लोगों को कुल्हड़ में दूध खूब पसंद आया।

गर्मी आई तो दूध के साथ लस्सी भी बेचने लगे
प्रदीप बताते हैं कि सर्दियों में गर्म दूध का प्रयोग खूब चला, लेकिन गर्मी आते ही धीरे-धीरे ग्राहक कम होने लगे। मुझे रियलाइज हो गया कि गर्मी में लोग गर्म दूध उतना पसंद नहीं करेंगे। इसके बाद मैंने नया प्रयोग किया और ठंडा बादाम दूध बेचने लगा। इसका भी बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला। फिर मैंने लस्सी की भी शुरुआत कर दी।

इसी बीच उन्होंने बागड़ी मिल्क पार्लर नाम से अपना बिजनेस भी रजिस्टर करा लिया और फूड प्रोडक्ट से जुड़े सभी लाइसेंस ले लिए। इस तरह एक के बाद एक उनके आउटलेट्स की संख्या बढ़ती गई।

कोविड में लॉकडाउन लगा तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो गए



पिछले साल कोविड की वजह से जब लॉकडाउन लगा तो बाकी बिजनेस की तरह उनका भी बिजनेस प्रभावित हुआ। दुकानें बंद करनी पड़ीं, स्टॉल लगाना भी बंद हो गया। वे कहते हैं कि हमारे लिए वो सबसे मुश्किल दौर था। मेरी आमदनी तो बंद हुई ही, साथ ही जो लोग मेरे साथ जुड़े थे, और दूध सप्लाई कर रहे थे, उन्हें भी दिक्कत होने लगी।

उसी दौरान प्रदीप को मिल्क प्रोसेसिंग का आइडिया सूझा। उन्होंने अपने साथ जुड़े किसानों से बोल दिया कि सभी लोग दूध से घी और पेड़े तैयार करें, वे उनका सारा प्रोडक्ट खरीद लेंगे। किसानों ने ऐसा ही किया। वे घी और पेड़े तैयार करने लगे।

प्रदीप कहते हैं कि कोविड में ऑनलाइन मार्केटिंग का क्रेज बढ़ा था। छोटे-छोटे बिजनेस धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आ रहे थे। मैंने भी मौके का फायदा उठाया और सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने लगा। जल्द ही यहां भी लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा।

प्रदीप फिलहाल दूध, घी, पेड़े, मिठाई, लस्सी सहित एक दर्जन से ज्यादा प्रोडक्ट की देशभर में मार्केटिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही हरियाणा और दिल्ली में वे ऑफलाइन लेवल पर भी अपना बिजनेस चला रहे हैं। उन्होंने 11 लोगों को अपने काम पर रखा है

किसान खुद दूध कलेक्ट करके पहुंचा देते हैं



प्रदीप कहते हैं कि हमने ऐसा मॉडल तैयार किया है कि हमें भी मुनाफा हो और किसानों को भी अच्छी आमदनी हो। दूध लाने के लिए मुझे गांव-गांव नहीं जाना पड़ता है। हर गांव में एक किसान बाकी किसानों का दूध कलेक्ट कर मेरे यहां पहुंचा देता है। इसके लिए हम उसे किराया दे देते हैं। साथ ही उनके दूध के अमाउंट का भी भुगतान कर देते हैं। जिसे किसान आपस में बांट लेते हैं। इससे मेरा भी काम आसान हो गया है और उनका भी। हर दिन 200 से ज्यादा लीटर दूध की खपत उनके यहां होती है।

प्रदीप के इस काम से कुम्हारों को भी काम मिला है। बड़े लेवल पर वे कुल्हड़ कुम्हारों से खरीददते हैं।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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