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हरियाणा सरकार ने MBBS छात्रों को दी बड़ी राहत, अब नहीं भरना पड़ेगी 10 लाख रुपये की बांड राशि

हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस के छात्रों को बड़ी राहत दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एमबीबीएस पूरा करने के बाद डॉक्टरों को सरकारी सेवा का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करने के संबंध में राज्य सरकार की नीति के कार्यान्वयन के संबंध में एक समीक्षा बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री ने छात्रों को राहत देते हुए निर्णय लिया कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के समय अब किसी भी छात्र को कोई बॉन्ड राशि (यानी, लगभग 10 लाख रुपये शुल्क) का भुगतान नहीं करना होगा। इसके बजाय, छात्रों को अब केवल कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ राशि के बॉन्ड-कम-ऋण एग्रीमेंट करना होगा।

यदि एमबीबीएस और एमडी पास-आउट छात्र डॉक्टर के रूप में राज्य सरकार की सेवा में शामिल होना चाहते हैं और सात साल की निर्दिष्ट अवधि के लिए काम करते हैं तो राज्य सरकार बॉन्ड राशि का वित्तपोषण करेगी। वहीं जो उम्मीदवार हरियाणा में डॉक्टर के रूप में सरकारी सेवा में शामिल नहीं होना चाहते उन्हें उक्त राशि का भुगतान स्वयं करना होगा। ऐसे छात्रों की संबंधित स्नातक डिग्री उम्मीदवारों द्वारा सभी वित्तीय देनदारी पूरी करने के बाद ही जारी की जाएगी।

सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि एमबीबीएस करने के बाद छात्र सरकारी अस्पतालों में काम कर सकें और राज्य के लोगों को अपनी सेवाएं दे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिले इसी ध्येय के साथ राज्य सरकार आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, होम्योपैथिक कॉलेज व नर्सिंग कॉलेज इत्यादि की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

मनोहर लाल ने कहा कि सरकार की हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है। कई जिलों में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा होते ही एमबीबीएस के लिए 3000 छात्रों के दाखिले किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई हैं और भविष्य में भी इन सीटों को बढ़ाया जाएगा ताकि डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके। प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 1000 की जनसंख्या के ऊपर एक डॉक्टर की तैनाती के लक्ष्य को पूरा किया जाए। यह मापदंड विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित किया गया है।

Avinash Kumar Singh

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