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अपनी अस्सी फीसद सैलरी पर्यावरण बचाने में लगा देते हैं सोनीपत के देवेंद्र सूरा

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पर्यावरण बचाने की धुन में सोनीपत (हरियाणा) के देवेंद्र सूरा पुलिस की नौकरी में रहते हुए अब तक एक-अकेले दम पर लगभग सवा लाख पौध रोपण कर चुके हैं। सूरा की इस महारत के आगे तो यूपी सरकार की गत दिवस एक दिन में 22 करोड़ पौधे लगाकर गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने की कामयाबी भी कमतर लगती है।

गौरतलब है कि भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ‘वृक्षारोपण महाकुंभ’ के तहत एक दिन में 22 करोड़ पौधे लगाने पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे बड़ी सफलता का सर्टिफिकेट सौंपा है। पौधारोपण के इस खास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्वयं भी हिस्सा लिया। लेकिन सूरा तो अपनी अस्सी फीसदी सैलरी पर्यावरण बचाओ अभियान में झोकते हुए अपनी टीम की मदद से किराए की पिकअप पर पौध लादकर गाँवों, अस्पतालों, गोशालाओं, श्मशानों पर स्वयं वृक्षारोपण करने पहुंच जाते हैं। वह दहेज के रूप में दूल्हों को फलदार पौधे देते हैं। वह हजारों घरों में तुलसी के पौधे पहुँचाते रहते हैं। इसके अलावा सोनीपत के गोहान, मोहाली, डोराबस्सी गाँवों में उनके वृक्ष मित्र पीपल के इतने पेड़ लगा चुके हैं, जितने देश के किसी अन्य एक गाँव में नहीं होंगे

पर्यावरण बचाओ अभियान के तहत सोनीपत के सूरा के त्याग की दास्तान ये है कि वह अपनी अस्सी प्रतिशत सैलरी पौधारोपण पर खर्च कर देते हैं। इस अभियान की प्रेरणा उन्हे पुलिस भर्ती के दौरान चंडीगढ़ में सड़कों के किनारे खड़ी भांति-भांति के वृक्षों की कतारें देखकर मिली। उसके बाद उन्होंने आजीवन वृक्षारोपण का संकल्प लिया और पुलिस की नौकरी करते हुए पर्यावरण बचाओ अभियान में जुट गए। इसके लिए शुरुआत में उन्हे सबसे पहले अपने परिजनों के ही विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन बाद में घर वाले भी उनके साथ हो लिए। इससे उनका उत्साह और बढ़ गया। वह अपनी सैलरी का आधा पैसा पौधरोपण पर खर्चने लगे। इसके बाद तो उनके साथ हजारों युवक जुड़ते चले गए। और एक दिन उनकी कामयाबी में उस ‘जनता नर्सरी’ का भी इतिहास जुड़ गया, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए हर समय खुली रहती है। वर्ष 2012 में स्थापित उस नर्सरी से कोई भी व्यक्ति रोपने के लिए पौध ले जा सकता है, बशर्ते वह उसकी हिफाजत का भी जिम्मा ले ले।

सूरा बताते हैं कि गोहाना रोड स्थित बड़वासनी गाँव की नर्सरी में इस समय 47 हजार पौधे उपलब्ध हैं। इस नर्सरी के लिए उनको सबसे पहले मेहसवाल के राजबीर मलिक से चार एकड़ जमीन मिली थी। इतने से काम नहीं चला तो उन्होंने इसलिए 60 हजार रुपए सालाना किराए पर दो किल्ला और जमीन लेकर नर्सरी का विस्तार कर दिया है। पर्यावरण अभियान चलाने के लिए वह अपनी सैलरी के एक बड़े हिस्से के अलावा अनेक लोगों से लाखो रुपए उधार ले चुके हैं, जिसे देसी घी में बनी मिठाइयों की बिक्री से चुकाते जा रहा रहे हैं। उन्होंने सोनीपत और चंडीगढ़ में दो साइकिलें रख छोड़ी हैं, जिनका रोजाना अपने अभियान में इस्तेमाल करते हैं

अब तक सूरा बरगद, पीपल, जामुन, शहतूत, शीशम और नीम के एक लाख 14 हजार से अधिक पौधे रोप चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने अभियान चलाकर खास तौर से स्कूलों और अस्पतालों की कुल पांच सौ एकड़ जमीन पर त्रिवेणी पौधे रोपे, जो अब पेड़ की शक्ल ले चुके हैं। इसी तरह दिल्ली के कंझावला गाँव के श्रीकृष्ण गोशाला परिसर में भी उन्होने खूब पौध रोपण किया है। अभी तक उनकी नर्सरी में नीम के 18 हजार पौधे तैयार हो सके हैं, जबकि उनका लक्ष्य 50 हजार पौधे हैं।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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