
हरियाणा के गांव भैंसवाल कलां के दृष्टिहीन क्रिकेटर दीपक ने एक ऐसा काम किया है, जिस वजह से वह अब पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए। दरअसल उन्होंने नेत्रहीन टी-20 क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन से विश्वकप जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जानकारी के लिए बता दें कि दीपक ने टूर्नामेंट में नेपाल के खिलाफ खेले गए पहले मैच में 113 रन बनाए थे। जिसके बाद दीपक ने मैच के दौरान सात विकेट लेकर नेपाल को हार का स्वाद चखा दिया। इसी के साथ फाइनल मैच में भी दीपक ने बांग्लादेश के खिलाफ दो ओवर में 10 रन दिए थे। सोमवार को जब दीपक अपनी टीम के साथ बेंगलुरु से दिल्ली लौटें तो, गांव वालों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
इतना ही नहीं नेपाल से मैच जीतने पर उन्हें मैन आफ द मैच भी घोषित किया गया। लेकिन इसके बाद दीपक को इंदौर, कोच्चि, कटक, गोवा के खिलाफ़ सेमीफाइनल व फाइनल मुकाबले में बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने सिर्फ़ अपनी गेंदबाजी से ही विपक्षी टीमों को धूल चटाई और टूर्नामेंट में सात विकेट लिए।
मीडिया से बातचीत करने पर दीपक मलिक ने बताया कि,”वह नौ साल से भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं। वर्ष 2013 को उनका चयन भारतीय टीम में किया गया था। उनके नाम 17 गेंदों पर अर्धशतक लगाने का रिकार्ड दर्ज है। वह भारतीय टीम को विश्वकप और एशिया कप दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं।”
इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया कि,” भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम इससे पहले वर्ष 2012 व 2017 में भी विश्वकप ट्राफी जीत चुकी है।”
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