अरावली को जंगल बनाने नही दे रहे फॉर्महाउस मालिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हरियाणा सरकार कर रही उल्लंघन

हरियाणा सरकार अरावली रेंज को बचाने की चिंता में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में पिछड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को अरावली से अवैध निर्माण हटाने और वहां जंगल विकसित करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय दिया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए नगर निगम ने अब तक 10 एकड़ से अधिक वन क्षेत्र से अवैध निर्माण हटा दिए हैं, लेकिन वन विभाग ने एक भी अवैध निर्माण नहीं गिराया है। छोटी संपत्तियों पर कार्रवाई की गई है, लेकिन बड़े फार्महाउसों को बख्श दिया गया है।


अरावली में है 750 अवैध निर्माण

करीब 500 एकड़ जमीन पर अरावली के अंदर अवैध फार्महाउस, शिक्षण संस्थान, बैंक्वेट हॉल आदि बनाए गए हैं। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो अरावली में 750 से अधिक अवैध निर्माण के मामले में नोटिस जारी किया जा चुका है, जबकि प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।


विभाग कर रही ढील

अब सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश सभी के लिए समान हैं और नगर निगम ने कार्रवाई की है तो वन विभाग एक एकड़ जमीन पर कार्रवाई को अवैध बनाने में ढीला रवैया क्यों अपना रहा है। फिलहाल मामले को लेकर 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की जानी है।


खोरी विलेज निवासी ने उठाए थे सवाल

शुरू से ही अरावली को जंगल नहीं माना जाता था। 7 जून, 2021 को जब सुप्रीम कोर्ट ने खोरी वन क्षेत्र में अवैध निर्माणों को तोड़ने का आदेश दिया, तो खोरी संघर्ष समिति के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर खोरी जंगल में गिरता है, तो अरावली के अंदर बने सभी निर्माण अवैध हैं। वहां बने हर तरह के फार्म हाउस, गेस्ट हाउस, बैंक्वेट हॉल हटा दिए जाएं।


फार्म हाउस हटने को राजी नहीं

पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 की धारा 4 और 5 के तहत भी आते हैं। पिछले साल, वन विभाग ने 500 हेक्टेयर अरावली क्षेत्र में 140 अवैध निर्माणों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। नोटिस के बाद 30 अवैध निर्माण तोड़े गए, लेकिन फार्म हाउस मालिक फिर कोर्ट पहुंच गए।


हरियाणा सरकार की एससी से संशोधन की मांग

हरियाणा सरकार ने भी PLPA 1900 में संशोधन की बात सुप्रीम कोर्ट में कही। साफ तौर पर सेक्शन-4 को फॉरेस्ट से बाहर रखने की बात थी। इससे अरावली को नुकसान होता। इस केस की सुनवाई में 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सेक्शन-4 के अंतर्गत केवल फॉरेस्ट आएगा।


अरावली को जंगल बनाने का फैसला

अरावली वन में किसी तरह की गतिविधि नहीं हो सकेगी, इसलिए सभी निर्माण वन विभाग हटाए और वहां जंगल विकसित करे। अवैध निर्माण हटाने के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था, लेकिन पांच महीने बीतने के बावजूद वन विभाग ने कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में अब देखना होगा कि यहां सख्ती कब तक होती है।

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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