अब हरियाणा के इस क्षेत्र में चलेंगी इलेक्ट्रिक बसे, प्रशासन ने दिया 1000 बसों का ऑर्डर

प्रदूषण की समस्या इस समय देशभर में काफी ज्यादा बढ़ गई है और अगर बात करें हम हरियाणा की तो यहां पर भी प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जिसकी कहीं ना कहीं वजह हमारे प्राइवेट वाहन है।इसके लिए प्रशासन बहुत कुछ कर रही है। जिसमें से एक प्रयास इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का भी है। ऐसे में हरियाणा सरकार ने भी एक कदम उठाया है। जानने के लिए खबर को अंत तक पढ़े।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव प्रदीप कुमार ने कहा है कि अब हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने के लिए अब इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। प्रशासन ने नई 1000 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का ऑर्डर दे दिया है। 31 मार्च तक हरियाणा में 400 नई इलेक्ट्रिक बसें भी आ जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।

इसके अलावा जो बाकी बची हुई 600 बसें हैं वह सितंबर या अक्टूबर 2023 तक परिवहन विभाग को मिल जाएंगे। इसके साथ साथ सभी सरकारी अधिकारियों के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहन की खरीदे जाएंगे और एनसीआर क्षेत्र में 1 जनवरी से डीजल चलित ऑटो के पंजीकरण पर रोक लगा दी गई है।

आपको बता दे,  अब सिर्फ सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो काही एनसीआर के जिलों में पंजीकरण होगा। बता दे, यह पूरी कार्यवाही हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र के पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हो रही है।बहादुरगढ़ में ईंट भट्ठा एसोसिएशन की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

जब आईएएस अधिकारी प्रदीप कुमार ने पत्रकारों से बातचीत की तो उसमे बताया कि, हरियाणा सरकार एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास कर रही है। इसी क्रम में आने वाले समय में गुरुग्राम और फरीदाबाद की सड़कों पर दौड़ रहे पेट्रोल और डीजल से चलने वाले तमाम आटो रिक्शा का भी इलेक्ट्रिफिकेशन किया जाएगा। इससे बढ़ते प्रदूषण पर रोक लग सकेगी। इस कार्यक्रम में बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव भी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे थे।

अधिकारी ने आगे कहा कि,प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार भी समय-समय पर गाइडलाइंस जारी करती रहती है। तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने आगे बताया ऐसे में वाहनों, ईंट भट्ठों और तमाम तरह की फैक्ट्रियों में पारंपरिक ईंधन पर पूर्णता रोक लगाने और ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्त्रोतों पर विचार करने की आवश्यकता है। तभी जाकर आने वाली पीढ़ियां साफ और स्वच्छ हवा में सांस ले सकेंगी।

Avinash Kumar Singh

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