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मां ने दिया 24 साल पहले शहीद हुए बेटे को जायदाद में से हिस्सा, मां ने कहा आज भी जिंदा है बेटा

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एक मां ने अपने शहीद बेटे को कमरे में हर सुख सुविधा दी. कमरे में 24 घंटे लाइट और पंखा चलता है. बेटे के आराम करने के लिए बेड लगाया हुआ है. इसके साथ बेटे के लिए पानी भरकर रखा है. वहीं, बेटे की तस्वीरें और उस का शहादत के समय का सामान, वर्दी और तिरंगे के साथ वह गोलियां भी मां के पास हैं, जो कि बेटे के सीने में दुश्मनों ने मारी थीं. हालांकि इसके बावजूद मां के लिए बेटा 24 वर्ष बाद भी जिंदा है. मां का मानना है कि उसका बेटा घर आता है और आज भी देश की रक्षा के लिए ड्यूटी कर रहा है.

बलविंदर सिंह की मां बच्चन कौर के अनुसार, कारगिल युद्ध के शुरुआती दौर में ही 19 वर्ष की आयु में ही बेटा शहीद हो गया था. दरअसल 5 जनवरी को जब दुश्मन की तरफ से भारत में घुसपैठ की जा रही थी. इस दौरान एक सुरंग के ऊपर बलविंदर सिंह को दुश्मन के दो आतंकवादी दिखाई दिए. इस दौरान बलविंदर सिंह ने उन्हें ललकारा और उनके साथ मुकाबला करने लगा, लेकिन उन्‍होंने बलविंदर सिंह के सीने में गोलियां दाग दीं. इस कारण वह शहीद हो गए. हालांकि बलविंदर सिंह की शहादत के बाद भारतीय सेना को उस जगह पर एक सुरंग मिली जिस के जरिए दुश्मन भारत में घुसपैठ कर रहा था. इसके बाद सेना ने उसे खत्म कर दिया और दुश्मन के हथियारों का जखीरा व सामान जब्त कर लिया.

शहीद बलविंदर सिंह की मां बच्चन कौर ने भावुक होते हुए बताया कि उसका बेटा बलविंदर सिंह भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में जवान था. अगर बलविंदर सिंह के पास असला खत्म ना होता तो वह शहीद नहीं होना था. उन्होंने बताया कि बलविंदर सिंह ने पूरे 5 घंटे दुश्मन का मुकाबला किया. उसकी वजह से भारतीय सेना के कई जवानों की जिंदगी बची. अगर बलविंदर सिंह दुश्मन से मुकाबला नहीं करता, तो उनके हथियारों के बारे में भारतीय सेना को पता नहीं चलता और इससे बड़ा नुकसान हो सकता था.

बलविंदर के भाई बूटा सिंह और भाभी जसविंदर कौर ने बताया कि सुबह उठने के बाद बलविंदर सिंह के कमरे में जाकर माथा टेका जाता है और उसके बाद सभी काम किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि बलविंदर सिंह की शहादत को देखकर कई युवक भारतीय सेना में गए हैं. उनके परिवार के दो युवा भारतीय सेना में है और उनके पड़ोस में रहने वाले युवा सेना में गए हैं. साथ ही कहा कि युवाओं को नशे की लत छोड़कर देश की रक्षा करने में अपना योगदान डालना चाहिए. वहीं, मां के फैसले पर शहीद बलविंदर के भाई बूटा सिंह ने कहा कि मां ने जो फैसला किया वो ठीक है. 24 वर्षों से घर में इस तरह ही चलता आ रहा है.

बच्चन कौर ने बताया कि बेटे को किसी प्रकार की समस्या ना आए इसलिए उसे हिस्सा दिया गया. कमरे को बनाकर इसमें उसके सामान को रखा गया है. इसे वह मंदिर की तरह पूजती हैं. बेटे के लिए सोने के लिए बेड लगाया गया है. इसके अलावा पानी रखा गया है , तो पंखा और लाइट 24 घंटे ऑन रहती है. बलविंदर के भाई और भाभी उसकी सेवा करते है. साथ बच्‍चन कौर ने बताया कि सरकार व प्रशासन ने परिवार को जो भी दिया वह उस से संतुष्ट हैं.

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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