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पांडवों ने कि थी हरियाणा में इस मां काली मंदिर की स्थापना, मान्यता जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

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हिंदू धर्म में देवी देवताओं को एक बहुत ही उच्च दर्जा दिया गया है। उसमें भी माताओं को बहुत ही ज्यादा आदर सम्मान के साथ पूजा जाता है। सभी देवताओं ने आदिशक्ति को अपना एक-एक शस्त्र दिया हुआ है। जैसे विष्णु ने चक्र, शिव ने त्रिशूल, ब्रह्मा ने कमल मंडल, इंद्र ने ब्रज, शेषनाग ने शेष्फांश, यमराज ने यमफंश, माताओं को अर्पित किए हैं।

हिमाचल प्रदेश की सीमा पर हरियाणा का एक छोटा सा कस्बा है कालका। यह बहुत ही खास और पौराणिक कस्बा है। यहां एक सुप्रसिद्ध काली मां का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि इस कस्बे का नाम कालका जी मंदिर की वजह से पड़ा है।

देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पर माता के दरबार में पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है यहां मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है। सूत्रों के अनुसार सतयुग में महिषासुर, चंड मुंड, शुंभ निशुंभ और रक्तबीज जैसे राक्षसों का  उपद्रव बढ़ गया था। देवताओं ने भी गुफाओं में शरण ले ली थी।

1 दिन सभी देवताओं ने आदिशक्ति श्री जगदंबा मातेश्वरी की स्तुति की। माता ने प्रसन्न होकर एक बालक के रूप में अवतरण लिया। देवताओं को दुखी देखकर माता ने अपने स्वरूप को विकराल कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि माता ने हजारों हाथ पैर हैं।

सभी देवताओं ने आदिशक्ति को अपना एक-एक शस्त्र दिया। इसके बाद माता जगदंबा रणभूमि में उतरी और महिषासुर समेत सभी असुरों का विनाश कर दिया। कालांतर में कालका में काली माता के नाम से प्रसिद्ध हुई।

द्वापर युग में पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास हुआ था। उस दौरान वह विकराल विराटनगर में 12 वर्ष तक रुके थे।उस समय केवट राजा के राज्य में गाय की बहुत सेवा होती थी। वही एक श्यामा नाम की गाय रोजाना अपने दूध से माता की पिंडी का अभिषेक करती थी।

यह करिश्मा देख पांडव आश्चर्यचकित रह गए और पांडवों ने इसी स्थान पर मंदिर की स्थापना की। कहा जाता है यह वही माता का मंदिर है। कालका से प्राचीन काली मंदिर तक पहुंचना बहुत ही आसान है। यहां आप हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं।

सबसे नजदीक एयरपोर्ट चंडीगढ़ है। एयरपोर्ट से यह मंदिर लगभग 34 किलोमीटर दूर है। वही आप कालका मंदिर तक ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं खास बात यह है कि माता के दर्शन के बाद आप यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल कालका शिमला रेल ट्रैक का भी मजे ले सकते हैं।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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