हरियाणा के इस व्यक्ति ने रच दिया अनोखा रिकॉर्ड,1 सेंटीमीटर लंबे और आधे सेंटीमीटर चौड़े कागज पर लिख दी हनुमान चालीसा

हरियाणा के हांसी के रामपुरा मोहल्ला निवासी जितेंद्र पाल सिंह लघु कलाकृति बनाने में बहुत माहिर है. उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने एक सेंटीमीटर लंबी और आदा सेंटीमीटर चौड़ी हनुमान चालीसा की किताब लिख डाली है. इसके साथ ही, दावा किया है कि इस पुस्तक में 15 पृष्ठों पर हनुमान चालीसा लिखी गई है. वहीं, इसके प्रमुख पृष्ठ पर हनुमानजी का पर्वत उठाते हुए चित्र बना हुआ है. इस पुस्तक की कुछ खासियत भी हैं, जिन्हें उन्होंने हमें बताया है. जानिए आप भी…

साल 1992 में उन्होंने पहली बार चावल के दाने पर 10 देशों के झंडे बना दिए थे. उन्होंने अब तक का सबसे छोटा चरखा भी बना डाला है. उनके बारे में कोई सुनता है तो चक्कर आने लगते हैं. इसके अलावा, सबसे छोटा गिटार, सबसे छोटा बजाने वाला ड्रम, सर्प- सीढ़ी, पेन और अन्य चीजें उन्होंने बना डाली हैं. हालांकि, इनका उपयोग भी किया जा सकता है.

पाल ने एक बार एक मिलीमीटर की पतंग बनाई और उड़ाई. इतना ही नहीं उन्होंने 2005 में एक ही सुई में 780 धागे पिरोकर सभी को हैरान कर दिया था. जितेंद्र पाल ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2006 में एक ही सुई में 2035 धागे पिरोए थे. साल 2020 में जैकेट सिलाई की सुई में 26700 रेशम के धागे डालकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया था.

उनका कहना है कि 15 अगस्त को 3 MM साइज का तिरंगा बनाया जाएगा. इसे बनाने में सिर्फ 2 घंटे का समय लगेगा. तिरंगे का पोल बांस के झाड़ू तिनकों से ही बनाया जाएगा. वहीं बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक उनकी बनाई चीजों को देखने के लिए उनके घर आते हैं. जतिन्द्रपाल की कला को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.

अब तक उन्हें राज्यपाल, पूर्व CM भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सामाजिक संस्थाओं से कई सम्मान मिल चुके हैं लेकिन, आज भी उन्हें सरकार पर तरस आता है. उनका कहना है कि जिस तरह सरकार खिलाड़ियों पर पैसा बरसाती है, उसी तरह कला के क्षेत्र में नाम कमाने वाले लोगों को भी पैसा देना चाहिए यानी बजट देना चाहिए.

जतींद्रपाल का शुरू से ही सपना था कि वह अपनी कला का प्रदर्शन कर अपना नाम रोशन करेगा, जो उन्होंने पूरा कर दिखाया. पहले वह काम घर वालों को पसंद नहीं था, वह कहता था कि वह आंखें क्यों फाड़ रहा है. परिवार के सभी सदस्यों के सो जाने के बाद वह अपनी कला से चीजें बनाते थे. रात 3 बजे तक वह इसी काम में लगा रहा. जतिंदरपाल ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे तो अपने भाई को दुकान पर पेंटिंग बनाते देखते थे. वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली.

Avinash Kumar Singh

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