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हरियाणा के गांव में हिंदू मुस्लिम मिलकर बनाते हैं ईद और तीज, गांव के लोग बने मिसाल

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हरियाणा प्रदेश में नूंह हिंसा के बाद से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. बीती शुक्रवार की रात में कुछ असामाजिक तत्व रोहतक के कलानौर कस्बे में घुस गए और उत्पात मचाने लगे. इस दौरान, कस्बे में हादसा होते- होते टला लेकिन, कस्बे से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर तैमूरपुर गांव (Taimurpur) है. यह जिले का सबसे छोटा गांव है लेकिन धार्मिक सौहार्द को लेकर शायद इससे बड़ा क्षेत्र में कोई ही गांव हो. यहां मंदिर व मस्जिद के उदाहरण मिसाल पेश करते हैं. ऐसे में अजान और पूजा- अर्चना भी यहां पर एक साथ होना स्वभाविक है.

इतना ही नहीं, यहां मस्जिद में ही गुरुवाणी का पाठ कुछ साल पहले तक होता था. यहां एक ही परिवार था जो पाठ करता था. कुछ वर्ष पहले यह परिवार काम धंधे की तलाश में कहीं दूसरे शहर में जाकर के शिफ्ट हो गया. इसके बाद, अब मस्जिद में दोनों वक्त अजान होती है. मंदिर और मस्जिद की सांझी दीवार हमें संदेश दे रही है कि भाईचारे से बढ़कर इस दुनिया में कोई कुछ भी नहीं है.

इस तैमूरपुर गांव में आजतक कभी धर्म के नाम पर कोई झगड़ा भी नहीं हुआ. देश विदेश में कहीं हिंदू बनाम मुस्लिम विवाद हो रहे हैं, कहीं दंगे हो रहे हैं. भले ही धर्म के नाम पर देश में राजनीति हो, भले ही कोई केसरिया और हरे रंग में फर्क समझता हो लेकिन यह गांव सदा शांति और सौहार्द का प्रतीक बना रहा है.

इस गाँव की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है. यहां मेहनतकश ग्रामीण खेती मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाते हैं. इस गांव के कई युवा सरकारी नौकरियों में भी हैं. करीब 120 घरों और 600 से ज्यादा आबादी वाला यह गांव देश के मानचित्र पर अपना विशेष स्थान रखता है. पंजाबी, SC, जोगी बहुल गांव तैमूरपुर में 100 के करीब आबादी मुसलमानों की भी है.

खासियत यह है कि यहां मंदिर और मस्जिद की दीवारें सांझी हैं. यहां मंदिर में भगवान की पूजा के लिए भजन बजते हैं तो वहीं, अल्लाह की पूजा में अजान भी गूंजती है. गांव में दोनों धर्मों की एकता और भाईचारे को कभी कम नहीं होने दिया गया है. दूसरे शब्दों में कहें तो दंगों और विवादों की खबरें सुनने के बाद भी इस गांव में धार्मिक भाईचारा मजबूत होता है. गांव की आबादी भले ही छोटी हो लेकिन, यहां के लोगों की सोच बड़ी है. ये न तो किसी के बहकावे में आते हैं और न ही धार्मिक विवादों में पड़ते हैं. यहां आपको हिंदू- मुस्लिम- सिख में अंतर नहीं मिलेगा.

गांव के पूर्व सरपंच विनोद कुमार मेहरा कहते हैं कि गांव सिर्फ दिखावे से धार्मिक एकता स्थापित नहीं करता बल्कि आपको यहां हिंदू- मुस्लिम- सिख के बीच मतभेद भी नहीं मिलेगा. एक समय यहां केवल एक सिख परिवार का घर था. जिस मस्जिद में आज हम अज़ान दे रहे हैं उस समय सरदार गुरबख्श सिंह गुरुवाणी का पाठ करते थे. सिख परिवार के सदस्य काम- धंधे के सिलसिले में बाहर चले गए लेकिन परिवार का एक सदस्य महेंद्र पाल अब भी गांव में रहता है. तीज- ईद भी हिंदू- मुस्लिम मिलकर मनाते हैं. सभी घरों में आपस में मिठाइयां भी बांटी जाती हैं और सेवइयां भी बांटी जाती हैं.

गांव के सरपंच ने बताया कि नूंह घटना का असर इस गांव में बिल्कुल भी नहीं है. यहां पर सब कुछ पहले की तरह ही है. दिनचर्या में सब लोग व्यस्त हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह हमारी तरह मिलजुल कर ही रहे. सभी धर्म एक समान है, सभी भाईचारे के साथ रहे.

विनोद कुमार ने कहा कि धार्मिक सौहार्द एकता और भाईचारा यहां दिखावे का नहीं है बल्कि लोग दिल से समझते हैं. गांव का एक धार्मिक स्थल भी है बाबा खेड़े वाला. यहां गांव से हर धर्म के लोग पूजा पाठ करते हैं. पूर्व सरपंच ने कहा कि गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए आठवीं कक्षा तक स्कूल अपग्रेड करवाने के साथ उसकी इमारत भी बनवा दी है. हर घर नल है, बड़ा तालाब है, वाटर बूस्टर है, विवाह शादियों के लिए चौपाल की व्यवस्था भी पंचायत की ओर से की हुई है.

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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