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दुनिया की सबसे छोटी गाय जिसके दूध से बनती है ओषधि, गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है नाम

गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है, लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो प्राचीन काल से यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध का मामला हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों का। वैदिक काल में गायों की संख्याू व्यक्ति की समृद्धि का मानक हुआ करती थी। दुधारू पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है। अन्य पशुओं की तुलना में गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है।

बच्चों को विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है क्योंकि भैंस का दूध जहां सुस्ती लाता है, वहीं गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है। माना जाता है कि भैंस का बच्चा (पाड़ा) दूध पीने के बाद सो जाता है, जबकि गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीने के बाद उछल-कूद करता है।

गाय न सिर्फ अपने जीवन में लोगों के लिए उपयोगी होती है वरन मरने के बाद भी उसके शरीर का हर अंग काम आता है। गाय का चमड़ा, सींग, खुर से दैनिक जीवनोपयोगी सामान तैयार होता है। गाय की हड्डि यों से तैयार खाद खेती के काम आती है।

गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमारों और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। इसके अलावा दूध से कई तरह के पकवान बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन और घी भी बनाता है। गाय का घी और गोमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम भी काम आता है।

और आज हम उसी औषधि से जुड़ी ये खबर और इसी खबर से जुड़ी दुनिया की सबसे छोटी गाय की बात बताने जा रहे हैं जो बेहद उपयोगी है और उसकी भूमिका अपने आप में बहुत ही ज़बरदस्त है।

इसिलिए आज हमने ये टॉपिक लिया और सबसे पहले गाय के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है, चलिए अब आपको दुनिया की इस सबसे छोटी गाय की उपयोगिता के बारे में बताते हैं। जिसका नाम गिनीज़ बुक में भी दर्ज हो चुका है।

दरअसल ये पूरी खबर केरल से है और ये गाय भी वहीं की है। दुनिया की सबसे छोटी गाय का यहां पाया जाना, जिसके लिए इस गाय को गिनीज़ बुक में बी शामिल किया जा चुका है।

जी हां, केरल में एक मनिकयम नामक गाय है जो कि विश्व की सबसे छोटी गायों में शुमार है। इस गाय के शरीर में पिछले दो साल से किसी खास तरह का कोई परिर्वतन नहीं आया है। इस बात की पुष्टि खूद एनवी बालाकृष्णेन करते है जो कि इस गाय का पालन पोसन करते हैं। उन्होनें इस गाय की खासियत को अपने आखों देखी अनुभव के साथ बताया है।

इसी सिलसिल में हम इस आर्टिकल को आगे बढ़ाते हुए गिनीज़ बुक में शामिल इस गाय की खासियत जानेंगे। मानिक्यहम (गाय) की उम्र 6 साल है और यह बस 61.5 सेमी लंबी है. इस गाय को पेशे से एक किसान और पर्यावरणविद एनवी बालाकृष्णगन के घर में पाला पोसा गया है। इस गाय की पूरी जीवन गाथा खूद बालाकृष्णवन जी बताते हैं कि इस गाय का जन्म  बाकी सामान्य  गायों की तरह ही हुआ है, लेकिन दो फिट से ज्याादा इसकी लंबाई बढ़ नहीं पाई. ले मानिक्यपम (गाय) को पाया गया था।

तब इसको वेचुर प्रजाति की गाय भी कहा जाने लगा है। यह दुनिया की सबसे छोटी गाय है। वेचुर गाय से मिलने वाला दूध अंतरराष्ट्री य स्तहर पर बेस्टय क्वा लिटी का माना जाता है। तो इस तरह से इस गाय ने दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया है और आज की तारीख में ये गाय बहुत-बहुत ही चर्चित हो चुकी है। अब आप भी इस गाय से मिलना ज़रूर चाहेंगे।

Avinash Kumar Singh

A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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