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प्रशासन लाई पराली का समाधान, अब ₹20 के कैप्सूल से पराली बनेगी जैविक खाद। जानिए कैसे?

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हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर महीने में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने के बहुत अधिक मामले सामने आते हैं और वायुमंडल में प्रदुषण का स्तर बहुत अधिक मात्रा में हो जाता है। सरकार और प्रशासन इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करती है लेकिन पराली जलाने की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। यहां तक की प्रशासन किसानों पर केस भी दर्ज करती है लेकिन इससे कोई ठोस उपाय नहीं होता।

ऐसे में अब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस समस्या के समाधान के लिए ऐसी तरकीब निकाली है जिसमें बिना खर्चे के पराली को खाद के रूप में बदला क
जा सकेगा। इस प्रणाली से पराली को जैविक खाद में बदलने वाले एक कैप्सूल है जिसका नाम पूसा डी कपोंजर है। इस किट की कीमत केवल 20 रुपए है जिसमें 4 कैप्सूल मिलते हैं।

डी कपोंजर एक बायोएंजाइम है । इस कैप्सूल से तैयार किया गया घोल पराली को गलाने का काम करता है। इतना ही नहीं इस डी कपोंजर के माध्यम से खेत में जैविक खाद भी तैयार होती है जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ावा देगा। पराली पर इसके घोल का छिड़काव करके उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है जिसके बाद जमीन में उसकी जैविक खाद तैयार हो जाती है।

घोल तैयार करने के लिए 150 ग्राम गुड़ लेकर उसे 5 लीटर पानी में उबाल लें। उसके बाद गुड़ की मैली उतार लीजिए और जब गुड़ का पानी हल्का गुनगुना रह जाएगा तब उसमें 50 ग्राम बेसन घोल दीजिए। इसके बाद आपको एक किट में जो 4 कैप्सूल मिलते हैं ,उन कैप्सूल को तोड़कर उस घोल में मिला दीजिए और साथ ही कैप्सूल के खोल भी उस में डाल दीजिए।घोल को मिलाकर गर्म जगह पर रखना होगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ लवलीन शुक्ला ने बताया कि 1 एकड़ की पराली को खाद में बदलने के लिए 10 लीटर घोल की जरूरत पड़ती है। 10 लीटर घोल को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने के बाद रोटावेटर से उसे मिट्टी में मिला दीजिए। इस बात का ध्यान रखना होगा कि पराली मिट्टी में अच्छी तरह से दब जाएं। उसके बाद खेत में हल्के पानी की सिंचाई करें। लगभग 25 दिनों में 95% तक पराली गल जाती है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के बाद मिट्टी में कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस की बढ़ोतरी हो जाती है जिससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है।

हरियाणा में हर जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र पर मात्र 20 रुपए में यह किट आसानी से मिल जाएगी। सुक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा एक व्हाट्सएप नंबर 8587806977 जारी किया गया है जिस पर किसान मैसेज कर किट मंगवा सकते हैं।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
A writer by passion | Journalist by profession Loves to explore new things and travel. I Book Lover, Passionate about my work, in love with my family, and dedicated to spreading light.

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