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नर्सिंग स्टाफ के ध्यान ना देने से नवजात की हुई मौत, गर्भवती ने कई बार मांगी थी मदद।

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सिविल अस्पताल में वीरवार दोपहर को स्टाफ नर्सों की लापरवाही से एक नवजात की जान चली गई। गर्भवती महिला की स्टाफ नर्सों ने समय पर मदद नहीं की। समय से पहले ही 6.5 महीने में बच्चे का जन्म हो गया। बच्चा डस्टबिन में जा गिरा और शाम को उसकी मौत हो गई। आरोप है कि स्टाफ नर्सों ने प्रसूता को डिलीवरी के तीन घंटे के बाद जबरदस्ती छुट्टी दे दी। अब पीएमओ ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।

अग्रवाली मंडी निवासी ज्योति पत्नी सोनू ने बदहवास हालत में ई-रिक्शा में लेटे हुए बताया कि वह तीन बच्चों की मां हैं। एक बेटा व दो बेटियां हैं। उसका पति  सोनू ई-रिक्शा चलाता है। वह साढ़े छह माह की गर्भवती थी। उसको वीरवार सुबह से ही प्रसव पीड़ा थी। सुबह 11 बजे सोनू उसे सिविल अस्पताल में लेकर पहुंचा। वह प्रसूति वार्ड में ढाई बजे तक दर्द से करहाती रही । उसने बार – बार स्टाफ नर्सों से मदद मांगी मगर उन्होंने उसकी बातो को अनसुना कर दिया । आरोप है कि कुछ ही दूरी पर कुर्सी पर बैठी एक स्टाफ नर्स हंस रहीं थीं।

वह बेड पर बैठी थी, अचानक उसका गर्भपात हो गया और नवजात बेड से फिसलकर उसके पास रखे डस्टबिन में जा गिरा। वह बेड पर गिर गई। बच्चे को सिर में चोट आई और  फिर नर्सों ने उसे एसएनसीयू वार्ड में दाखिल कराया। देर शाम को उसको जबरदस्ती अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जबकि वह घर जाने की स्थिति में नहीं थी।


उसका बीपी काफी कम हो गया था। शाम को बच्चे को यहां से खानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। रास्ते मे बच्चे की मौत हो गई। सुबह उसका पति  विधायक प्रमोद विज के पास गया। उन्होंने डिप्टी सिविल सर्जन को फोन किया और दोबारा महिला को इलाज के लिए दाखिल कराया। दंपती का आरोप है कि स्टाफ नर्सों की लापरवाही से उनके बच्चे की मौत हुई है।

प्रसूति वार्ड सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। यहां डिलीवरी कराने वाली महिलाओं का आरोप है कि स्टाफ नर्स बेटा पैदा होने पर पैसों के रूप में बधाई मांगती हैं। पैसे भी 1100 या 2100 से कम नहीं होते। अगर पैसे नहीं देते तो बदतमीजी करती  हैं। इस संबंध में भी पीएमओ द्वारा गठित कमेटी जांच कर रही है।

सिविल अस्पताल में हर रोज औसतन 30-35 महिलाओं की डिलीवरी होती है। इनमें से 3 से 4 महिलाओं की प्री मैच्योर डिलीवरी होती है। 10 में से एक प्री मैच्योर डिलीवरी में नवजात की मौत हो जाती है। प्री मैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण समय पर जांच ना कराना और बीपी की समस्या का उत्पन्न होना है।

इस मामले पर डॉ. संजीव ग्रोवर, ने कहा फिलहाल उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। इस बारे में वहां की इंचार्ज से बात करेंगे। मामले की जांच होगी जो भी दोषी होगा कार्रवाई करेंगे।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
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