हरियाणा में लैंगिक अनुपात एक बार फिर बिगड़ गया है। ऐसा लगता है मानों शायद फिर से बेटियां नहीं बच पा रही हैं। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष हरियाणा में पहले नौ महीने यानी सितंबर तक जन्म के समय के लिंगानुपात में 16 अंकों की गिरावट आई है। 2020 में यह संख्या 922 थी वहीं इस साल सितंबर 2021 तक घटकर 906 हो गई है।
इस साल कुल 22 जिलों में से 13 जिलों में लिंगानुपात राज्य के औसत (906) से नीचे आ चुका है।

लिंगानुपात में रोहतक का सबसे अच्छा प्रदर्शन
बता दें कि 955 के लिंगानुपात के साथ रोहतक का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। पिछले साल के आंकड़ों से 43 अंकों की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके बाद लिंगानुपात में चरखी दादरी (937), पानीपत (930), नूंह (922), जींद (919) और सिरसा (919) का स्थान रहा।
सोनीपत और झज्जर का सबसे खराब प्रदर्शन

न्यूनतम लिंगानुपात 880 के साथ सोनीपत और झज्जर का प्रदर्शन सबसे खराब था। अन्य जिलों में फतेहाबाद में 882, अंबाला (891), रेवाड़ी (892), करनाल और फरीदाबाद (896 दोनों), भिवानी और कैथल (दोनों 897), पलवल (899), गुरुग्राम (901), यमुनानगर (902) और महेंद्रगढ़ (905) का लिंगानुपात दर्ज किया गया।
गिरावट का असल कारण नहीं आया सामने

इस वर्ष 1 जनवरी से 30 सितंबर के बीच हरियाणा में कुल 3,65,393 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें से 1,91,662 पुरुष और 1,73,731 महिलाएं थीं। हालांकि, अब तक लिंगानुपात में गिरावट का असल कारण सामने नहीं आया है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट के कारणों का पता जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद ही लगाया जा सकेगा।
