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हरियाणा के किसान हुए समझदार, नहीं जला रहे पराली, उठा रहे हैं इस सरकारी योजना का लाभ

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भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण हेतू फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए आरंभ की गई सेंट्रल सैक्टर योजना के बेेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि योजना के सफल क्रियान्वयन से वर्ष 2016 के मुकाबले वर्ष 2020 में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्य में धान के अवशेष जलाने की घटनाओं की संख्या में क्रमश: 64 प्रतिशत, 52 प्रतिशत और 23 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी।

अतिरिक्त सचिव डॉ अभिलक्ष लिखी ने किसानों से आह्वान किया है कि वे इस वर्ष भी अपने फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करें, ताकि प्रदूषण के स्तर में और अधिक कमी लाई जा सके।

अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के नियंत्रण और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए जरूरी मशीनरी को सब्सिडी पर देने हेतू कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने हरियाणा में सेंट्रल सैक्टर योजना वर्ष 2018-19 में शुरू की थी।

इसके तहत फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की खरीद के लिए व्यक्तिगत तौर पर किसानों को लागत का 50 प्रतिशत और परियोजना लागत का 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान व्यक्तिगत तौर के अलावा किसानों की सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, एफपीओ और पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि योजना का लक्ष्य सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो टिल सीड एवं फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, हाइड्रॉलिक रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड हल, क्रॉप रीपर और रीपर बाइंडर जैसी मशीनों के उपयोग से इन-सीटू प्रबंधन को बढ़ावा देना है। योजना के तहत एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर और हेरक जैसी मशीनों के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के लिए चालू वर्ष 2021-22 के दौरान 690.90 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इनमें हरियाणा के लिए 193.35 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें आईसीएआर के 6.02 करोड़ रुपये शामिल है। 2021-22 में व्यक्तिगत तौर पर किसानों को 25 हजार 831 मशीनों की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें हरियाणा के लिए 10 हजार 11 उपकरण शामिल है।

अतिरिक्त सचिव ने बताया कि वर्ष 2018-19 से 2020-21 के दौरान किसानों को सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के वितरण, कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना और फसल अवशेष प्रबंधन पर किसानों को जागरूक करने के लिए 1749.17 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इनमें हरियाणा के लिए 499.90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

उन्होंने बताया कि इन निधियों से पिछले 3 वर्षों के दौरान हरियाणा के छोटे और सीमांत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किराये पर मशीन और उपकरण प्रदान करने हेतू हरियाणा में 4 हजार 224 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। इस अवसर पर उत्तरी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश जैन व अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

उत्तरी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान का भी किया दौरा

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने उत्तरी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने खेती में ड्रोन व रोबोटिक तकनीकों के समावेश किए जाने की बात पर बल दिया है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने फसलों में पोषकता के साथ-साथ पेस्टिसाइड व इंसेक्टिसाइड मैनेजमेंट को भी खेती के लिए वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत बताया है। अतिरिक्त सचिव ने पेस्टिसाइड व इंसेक्टिसाइड मैनेजमेंट को लेकर किसानों को भी विभिन्न प्रचार माध्यमों से जागरूक करने के निर्देश दिए। इसी प्रकार से उन्होंने खेती में ऑर्गेनिक फॉर्मिंग व माइक्रो इरिगेशन के महत्व को समझते हुए जरूरी कदम उठाए जाने के निर्देश दिए।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
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