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हरियाणा में गंगा का पानी लाने की तैयारी, केंद्र से होगी गंगा यमुना लिंक नहर बनाने की मांग

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एसवाईएल के पानी को लेकर पंजाब के साथ चल रहे विवाद से इतर हरियाणा सरकार ने अब पानी के लिए नए विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। अब प्रदेश में गंगा के पानी को लाने की तैयारी है। पानी लाने के लिए गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने की योजना है। इसके लिए हरियाणा सरकार जल संशाधन मंत्रालय भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखेगी। हालांकि, जमीनी स्तर पर इस प्रोजेक्ट को लाना इतना आसान नहीं है, लेकिन सरकार का दावा है कि इस लिंक नहर के बनने से हरियाणा को पानी की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सिंचाई अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर मंथन किया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि गंगा नदी के पानी को हरियाणा में लाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। इस पर अधिकारी गंभीरता से काम करें, ताकि योजना को आगे बढ़ाया जा सके। वहीं, बैठक में बताया गया कि यमुना नदी पर रेणूका, किशाऊ और लखवाड़ बांध बनाये जाने प्रस्तावित हैं, जिनका कार्य 2031 तक पूरा होना संभावित है। इन बांधों के बनने से हरियाणा को अपने हिस्से का 1150 क्यूसिक पानी मिलेगा।

मनोहर लाल ने कहा कि पानी के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए आगामी वर्षों में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित कॉलोनियों, एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित इंडस्ट्रीयल एस्टेट और निजी डेवलपर द्वारा विकसित कॉलोनियों में भी उपचारित अपशिष्ट जल नीति को पूरी तरह से लागू करना होगा। इस नीति के तहत, डबल पाईपलाइन साफ पानी के लिए अलग और उपचारित पानी के लिए अलग लाईन बिछाना और माइक्रो एसटीपी स्थापित करने पर जोर देना होगा। इसके साथ-साथ बारिश के पानी को एकत्र करने की प्रणाली को भी लागू करने पर बल देना होगा।

गौरतलब है कि फिलहाल हरियाणा को एसवाईएल का पानी नहीं मिल पाया है, इससे हरियाणा की लाखों एकड़ जमीन की सिंचाई नहीं हो पा रही है। बैठक में सिंचाई मामलों से संबंधित मुख्यमंत्री के सलाहकार देवेंद्र सिंह, इंजीनियर इन चीफ डॉ सतबीर कादियान सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

गुरुग्राम : 1600 करोड़ रुपये से जीडब्ल्यूएस की क्षमता 1000 क्यूसेक तक बढ़ेगी


गुरुग्राम जिले में जल आपूर्ति में बढ़ोतरी के लिए गुड़गांव वाटर सप्लाई चैनल (जीडब्ल्यूएस) की क्षमता 175 से बढ़ाकर 1000 क्यूसेक तक की जाएगी। इसके लिए चैनल की मरम्मत और रिमॉडलिंग पर लगभग 1600 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2030 तक पूरा होगा। यह अहम निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अध्यक्षता में शुक्रवार देर सायं हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की बैठक में लिया गया।

गुड़गांव वाटर सप्लाई चैनल की लंबाई 69 किलोमीटर है, जो काकरोई हेड से दिल्ली ब्रांच के आरडी नंबर-227800 से निकलती है और बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खत्म होती है। इस चैनल का निर्माण वर्ष 1995 में किया गया था, जिसकी क्षमता 175 क्यूसेक थी। इस चैनल से बहादुरगढ़, गुरुग्राम और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, एचएसआईआईडीसी एवं वन विभाग के 28 वाटर वर्क्स की पानी की जरूरतें पूरी होती हैं। 27 सालों से लगातार पानी के प्रवाह के कारण चैनल की लाइनिंग खराब हो गई है और क्षमता 100 क्यूसिक तक रह गई है। वर्ष 2040 तक गुरुग्राम शहर व कस्बों में पीने के पानी की आवश्यकता लगभग 475 क्यूसेक तक पहुंच जाएगी। इस मांग को पूरा करने और क्यूसिक क्षमता बढ़ाने के साथ ही जीडब्ल्यूएस चैनल की रिमॉडलिंग का प्रोजेक्ट तैयार किया है। खुरबू और काकरोई के बीच पानी की आपूर्ति सीएसी द्वारा की जाती है, जिसकी क्षमता 750 क्यूसिक है। वर्तमान में 1050 क्यूसिक पानी दिल्ली को, 400 क्यूसिक पानी गुरुग्राम को दिया जा रहा है और शेष पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है। इन चैनलों की मरम्मत, रिमॉडलिंग होने से कुल क्षमता 2300 क्यूसिक हो जाएगी, जो वर्ष 2030 तक पानी की उपलब्धरता को पूरा कर सकेगी

दिल्ली ब्रांच की भी होगी रिमाडलिंग


अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2030 तक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, एचएसआईआईडीसी, वन विभाग इत्यादि की पानी की जरूरतों के हिसाब से 1068 क्यूसिक की आवश्कता पड़ेगी। इसी प्रकार, वर्ष 2040 तक 1269 क्यूसिक और वर्ष 2050 तक 1504 क्यूसिक पानी की आवश्यकता होगी। इसके लिए दिल्ली ब्रांच की भी पुन: डिजाइन और रिमॉडलिंग की आवश्यकता पड़ेगी।



फरीदाबाद में भी पानी की आवश्यकता पूरी होगी


मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद महानगरीय प्राधिकरण के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि फरीदाबाद में भी पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रैनीवेल परियोजना के माध्यम से जल संचयन पर जोर दिया जाए। इसके अलावा, एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया जाए, जो यमुना में अंडरग्राउंड फ्लो से संबंधित अध्ययन करेगी। साथ ही यह भी आकलन करेगी कि दक्षिण हरियाणा में पानी की कितनी जरूरत है और वर्तमान में कितनी आपूर्ति हो रही है।

Avinash Kumar Singh
Avinash Kumar Singh
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